पुतिन के डिनर में गए शशि थरूर, कांग्रेस निकाल रही भड़ास; सांसद को मिला भाजपा का साथ
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा आयोजित एक रात्रिभोज में कांग्रेस सांसद शशि थरूर की भागीदारी ने भारतीय राजनीति में एक गर्मागर्म बहस छेड़ दी है। जहां कांग्रेस पार्टी ने थरूर के इस कदम पर नाराजगी व्यक्त की है, वहीं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने उनका समर्थन किया है, जिससे यह मुद्दा और भी जटिल हो गया है।
पुतिन के डिनर में गए शशि थरूर, कांग्रेस निकाल रही भड़ास; सांसद को मिला भाजपा का साथ
घटना का सारांश — कौन, क्या, कब, कहाँ
नई दिल्ली, 8 नवंबर: कांग्रेस सांसद शशि थरूर हाल ही में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा आयोजित एक रात्रिभोज में शामिल हुए थे। यह रात्रिभोज मॉस्को में आयोजित किया गया था और इसमें विभिन्न देशों के राजनयिक और राजनीतिक हस्तियां शामिल थीं। थरूर की इस भागीदारी के बाद कांग्रेस पार्टी में नाराजगी फैल गई है, जिसके चलते पार्टी के कई नेताओं ने थरूर के इस कदम की आलोचना की है।
हालांकि, इस मामले में एक नया मोड़ तब आया जब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने शशि थरूर का समर्थन किया। भाजपा नेताओं ने कहा कि थरूर का रात्रिभोज में शामिल होना व्यक्तिगत मामला है और इसमें कोई गलत बात नहीं है। भाजपा के समर्थन ने इस मुद्दे को और भी जटिल बना दिया है, जिससे राजनीतिक गलियारों में बहस तेज हो गई है।
पुतिन के डिनर में गए शशि थरूर, कांग्रेस निकाल रही भड़ास; सांसद को मिला भाजपा का साथ — प्रमुख बयान और संदर्भ
कांग्रेस पार्टी के सूत्रों के अनुसार, शशि थरूर को पार्टी नेतृत्व ने इस रात्रिभोज में शामिल होने के लिए अधिकृत नहीं किया था। पार्टी का मानना है कि ऐसे समय में जब रूस पर यूक्रेन में सैन्य कार्रवाई के लिए अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंध लगे हुए हैं, पुतिन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में भाग लेना उचित नहीं है। एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “यह पार्टी की नीतियों के खिलाफ है। हमें उम्मीद थी कि थरूर अधिक सावधानी बरतेंगे।”
शशि थरूर ने इस मामले पर अपनी सफाई देते हुए कहा कि उन्हें एक अकादमिक सम्मेलन में भाग लेने के लिए मॉस्को आमंत्रित किया गया था और यह रात्रिभोज उस कार्यक्रम का हिस्सा था। थरूर ने कहा, “मैंने कोई गुप्त कार्य नहीं किया है। मैं एक खुले कार्यक्रम में शामिल हुआ था, जहां कई अन्य देशों के प्रतिनिधि भी मौजूद थे। मेरा मानना है कि संवाद हमेशा महत्वपूर्ण होता है, खासकर तनावपूर्ण समय में।”
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी थरूर को बेवजह निशाना बना रही है। उन्होंने कहा, “शशि थरूर एक अनुभवी सांसद हैं और उन्हें यह तय करने का अधिकार है कि उन्हें किस कार्यक्रम में शामिल होना है। कांग्रेस को इस मामले में राजनीति नहीं करनी चाहिए।” पात्रा ने यह भी कहा कि भारत को अपनी विदेश नीति स्वतंत्र रूप से तय करने का अधिकार है और किसी भी देश के दबाव में नहीं आना चाहिए।
इस घटना के बाद, सोशल मीडिया पर भी लोगों ने अपनी राय व्यक्त की है। कुछ लोग थरूर के समर्थन में हैं, जबकि कुछ उनकी आलोचना कर रहे हैं। कई लोगों ने यह भी सवाल उठाया है कि क्या इस मामले से भारत की विदेश नीति पर कोई असर पड़ेगा।
पार्टियों की प्रतिक्रिया
कांग्रेस पार्टी ने आधिकारिक तौर पर इस मामले पर अपनी नाराजगी व्यक्त की है और शशि थरूर से स्पष्टीकरण मांगा है। पार्टी के महासचिव के.सी. वेणुगोपाल ने कहा, “हमने थरूर से इस मामले पर रिपोर्ट मांगी है और उसके बाद उचित कार्रवाई की जाएगी।”
वहीं, भाजपा ने थरूर का समर्थन करते हुए कहा कि यह कांग्रेस की आंतरिक कलह का नतीजा है। भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट किया, “शशि थरूर एक बुद्धिमान व्यक्ति हैं और उन्हें पता है कि उन्हें क्या करना है। कांग्रेस को इस मामले में दखल नहीं देना चाहिए।”
राजनीतिक विश्लेषण / प्रभाव और मायने
शशि थरूर के पुतिन के डिनर में शामिल होने का मामला कई राजनीतिक सवाल खड़े करता है। सबसे पहला सवाल तो यही है कि क्या एक सांसद को ऐसे समय में रूसी राष्ट्रपति द्वारा आयोजित कार्यक्रम में शामिल होना चाहिए, जब रूस अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के निशाने पर है? दूसरा सवाल यह है कि क्या इस घटना से भारत की विदेश नीति पर कोई असर पड़ेगा?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस घटना से कांग्रेस पार्टी में आंतरिक मतभेद और बढ़ सकते हैं। थरूर पहले भी कई बार पार्टी लाइन से अलग राय रखते हुए देखे गए हैं, जिससे पार्टी नेतृत्व नाराज रहा है। इस मामले के बाद, थरूर और पार्टी के बीच संबंधों में और खटास आ सकती है।
वहीं, भाजपा के लिए यह मामला कांग्रेस को घेरने का एक अवसर है। भाजपा यह दिखाने की कोशिश कर रही है कि कांग्रेस पार्टी आंतरिक रूप से विभाजित है और उसके नेता राष्ट्रीय हितों के प्रति गंभीर नहीं हैं। भाजपा का यह रुख आगामी चुनावों में उसे फायदा पहुंचा सकता है।
क्या देखें
- कांग्रेस पार्टी इस मामले में क्या कार्रवाई करती है? क्या थरूर को पार्टी से निलंबित किया जाएगा या उन्हें केवल चेतावनी दी जाएगी?
- शशि थरूर इस मामले पर आगे क्या प्रतिक्रिया देते हैं? क्या वह अपनी गलती मानते हैं या अपने रुख पर कायम रहते हैं?
- भारत सरकार इस मामले पर क्या रुख अपनाती है? क्या सरकार रूस के साथ अपने संबंधों को लेकर कोई स्पष्टीकरण जारी करती है?
- अंतर्राष्ट्रीय समुदाय इस घटना पर क्या प्रतिक्रिया देता है? क्या भारत पर रूस के साथ अपने संबंधों को कम करने का दबाव बढ़ता है?
- इस घटना का आगामी चुनावों पर क्या असर पड़ता है? क्या यह कांग्रेस और भाजपा के वोट शेयर को प्रभावित करता है?
निष्कर्ष — आगे की संभावनाएँ
शशि थरूर के पुतिन के डिनर में शामिल होने का मामला भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। इस घटना से कांग्रेस पार्टी की आंतरिक कलह उजागर हो गई है और भाजपा को कांग्रेस पर हमला करने का एक नया मौका मिल गया है।
आने वाले दिनों में, यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस पार्टी इस मामले से कैसे निपटती है और क्या इस घटना से भारत की विदेश नीति पर कोई दीर्घकालिक प्रभाव पड़ता है। इस घटना ने निश्चित रूप से भारतीय राजनीति में एक नई बहस छेड़ दी है और इसके परिणाम दूरगामी हो सकते हैं।
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