क्या CM हेमंत बदलेंगे पाला? BJP बोली-'समुद्र के दो किनारे' का मिलन नहीं, JMM-कांग्रेस के इनकार के बावजूद बढ़ी बेचैनी
झारखंड की राजनीति में इन दिनों सरगर्मी तेज है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) के भारतीय जनता पार्टी (BJP) के साथ हाथ मिलाने की अटकलें लगाई जा रही हैं। हालांकि, झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने इस बात से इनकार किया है, लेकिन राजनीतिक गलियारों में बेचैनी कम नहीं हो रही है। बीजेपी के कुछ नेताओं के बयानों ने इस आग में और घी डालने का काम किया है, जिससे राज्य की राजनीति में अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है।
क्या CM हेमंत बदलेंगे पाला? BJP बोली-'समुद्र के दो किनारे' का मिलन नहीं, JMM-कांग्रेस के इनकार के बावजूद बढ़ी बेचैनी
घटना का सारांश — कौन, क्या, कब, कहाँ
रांची, 8 नवंबर, 2025: झारखंड में राजनीतिक अटकलों का बाजार गर्म है। यह सब तब शुरू हुआ जब बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने सार्वजनिक तौर पर कहा कि 'राजनीति में कुछ भी संभव है'। इसके बाद से ही हेमंत सोरेन के बीजेपी के साथ जाने की अटकलें लगाई जाने लगीं। JMM और कांग्रेस, जो कि राज्य में गठबंधन सरकार चला रही हैं, ने इन अटकलों को निराधार बताया है, लेकिन बीजेपी की ओर से कोई स्पष्ट खंडन न आने से संदेह बना हुआ है।
यह घटनाक्रम ऐसे समय में हो रहा है जब राज्य सरकार कई चुनौतियों का सामना कर रही है। भ्रष्टाचार के आरोप, कानून व्यवस्था की स्थिति और विकास कार्यों में सुस्ती के चलते सरकार विपक्ष के निशाने पर है। इन परिस्थितियों में, हेमंत सोरेन के किसी भी संभावित कदम पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं।
क्या CM हेमंत बदलेंगे पाला? BJP बोली-'समुद्र के दो किनारे' का मिलन नहीं, JMM-कांग्रेस के इनकार के बावजूद बढ़ी बेचैनी — प्रमुख बयान और संदर्भ
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी (Babulal Marandi) ने इस मुद्दे पर एक विवादास्पद बयान दिया। उन्होंने कहा, "समुद्र के दो किनारे कभी नहीं मिल सकते। JMM और बीजेपी की विचारधाराएं अलग हैं और उनका साथ आना संभव नहीं है।" हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि "राजनीति में कुछ भी हो सकता है"। मरांडी के इस बयान ने स्पष्ट रूप से इनकार नहीं किया, बल्कि अटकलों को और हवा दे दी।
वहीं, JMM के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य (Supriyo Bhattacharya) ने इन अटकलों को 'विपक्षी दलों की साजिश' बताया। उन्होंने कहा, "हमारी सरकार स्थिर है और हम पांच साल का कार्यकाल पूरा करेंगे। बीजेपी अफवाहें फैलाकर सरकार को अस्थिर करने की कोशिश कर रही है, लेकिन वे सफल नहीं होंगे।" कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर (Rajesh Thakur) ने भी इसी तरह का बयान दिया और कहा कि गठबंधन सरकार पूरी तरह से एकजुट है।
इन बयानों के बावजूद, राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि झारखंड की राजनीति में कुछ भी संभव है। राज्य का राजनीतिक इतिहास अस्थिरता से भरा रहा है और कई बार सरकारें अल्पमत में आकर गिर चुकी हैं। ऐसे में, हेमंत सोरेन के किसी भी कदम को हल्के में नहीं लिया जा सकता।
पार्टियों की प्रतिक्रिया
बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा (Sambit Patra) ने इस मुद्दे पर टिप्पणी करते हुए कहा कि "झारखंड की जनता बदलाव चाहती है। राज्य सरकार हर मोर्चे पर विफल रही है और लोग इससे त्रस्त आ चुके हैं।" उन्होंने यह भी कहा कि "बीजेपी राज्य में एक मजबूत विकल्प के तौर पर उभरी है और हम जनता की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए तैयार हैं।"
कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह (Digvijaya Singh) ने बीजेपी पर सरकार को अस्थिर करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, "बीजेपी हमेशा से ही गैर-बीजेपी शासित राज्यों में सरकारें गिराने की कोशिश करती रही है। झारखंड में भी वे यही कर रहे हैं, लेकिन वे सफल नहीं होंगे।" उन्होंने यह भी कहा कि "कांग्रेस JMM के साथ मिलकर राज्य में स्थिर सरकार चला रही है और हम जनता के हित में काम करते रहेंगे।"
झारखंड विकास मोर्चा (JVM) के नेता बाबूलाल मरांडी (Babulal Marandi) ने कहा कि "राज्य में मध्यावधि चुनाव होने चाहिए। वर्तमान सरकार हर मोर्चे पर विफल रही है और जनता को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।" उन्होंने यह भी कहा कि "JVM राज्य में एक मजबूत विकल्प है और हम जनता के समर्थन से सरकार बनाने के लिए तैयार हैं।"
राजनीतिक विश्लेषण / प्रभाव और मायने
हेमंत सोरेन के बीजेपी के साथ जाने की अटकलों का राज्य की राजनीति पर गहरा असर पड़ सकता है। अगर ऐसा होता है, तो राज्य में एक नई राजनीतिक समीकरण बन सकता है। बीजेपी राज्य में और मजबूत हो सकती है, जबकि JMM और कांग्रेस कमजोर हो सकते हैं।
यह घटनाक्रम ऐसे समय में हो रहा है जब देश में लोकसभा चुनाव नजदीक हैं। झारखंड में लोकसभा की 14 सीटें हैं और इन सीटों पर जीत हासिल करना बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए ही महत्वपूर्ण है। ऐसे में, राज्य की राजनीति में किसी भी तरह का बदलाव इन चुनावों पर असर डाल सकता है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि हेमंत सोरेन के पास कई विकल्प हैं। वे या तो अपनी सरकार को चलाते रह सकते हैं, या बीजेपी के साथ जा सकते हैं, या फिर मध्यावधि चुनाव का सामना कर सकते हैं। उनका अगला कदम राज्य की राजनीति को किस दिशा में ले जाएगा, यह देखना दिलचस्प होगा।
क्या देखें
- हेमंत सोरेन का अगला कदम: क्या वे बीजेपी के साथ जाएंगे या अपनी सरकार चलाते रहेंगे?
- बीजेपी की रणनीति: क्या बीजेपी राज्य में सरकार बनाने के लिए कोई कदम उठाएगी?
- कांग्रेस की भूमिका: क्या कांग्रेस JMM के साथ मिलकर सरकार को बचाने में सफल रहेगी?
- राज्य में मध्यावधि चुनाव: क्या राज्य में मध्यावधि चुनाव होंगे?
- लोकसभा चुनाव पर असर: क्या राज्य की राजनीति में बदलाव का असर लोकसभा चुनाव पर पड़ेगा?
निष्कर्ष — आगे की संभावनाएँ
झारखंड की राजनीति में अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है। हेमंत सोरेन के किसी भी संभावित कदम पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं। राज्य में राजनीतिक समीकरण कभी भी बदल सकते हैं और आने वाले दिनों में और भी उथल-पुथल देखने को मिल सकती है। फिलहाल, राज्य की राजनीति में अटकलों का बाजार गर्म है और यह देखना दिलचस्प होगा कि आगे क्या होता है।
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